मलेरिया को जड़ी बुखार भी कहा जाता है। यह बहुत पुराना रोग है । कुछ वर्ष पूर्व तक इसे अत्यंत संक्रामक रोग समझा जाता है। इसके कारण लाखों मनुष्य मृत्युग्रस्त हो जाते थे ओर करोडों मनुष्य बीमार चिड़चिड़े ओर अशक्त हो जाते थे। मलेरिया ने कई देशों के इतिहास पर भी महत्वपूर्ण असर डाला है।
यूनान तथा विशेष रूप से रोम के पतन का श्रेय कुछ हद तक मलेरिया को ही दिया जा सकता है। भारत में भी 5 से 8 लाख मनुष्य प्रतिवर्ष इससे मृत्युग्रस्त हो जाते थे। अतः भारत में इससे बचने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर अनेक कदम उठाए गए हैं और आज भी मलेरिया उन्मूलन अभियान चालू है।
मलेरिया बीमारी का कारण | मलेरिया कैसे फैलता है
मलेरिया रोग एनोफेलीज नामक मादा मच्छरों के काटने से फैलता है। Anophelese जाति के मादा मच्छरों के आहारनाल में इस ज्वर का परजीवी पाया जाता है। इन मच्छरों द्वारा मनुष्य के शरीर मे मलेरिया के परजीवी के आने के कारण मलेरिया बुखार होता है। इस परजीवी का नाम प्लाजमोडियम है। यह मनुष्य की लाल रुधिर कोशिकाओं में रहता है।
प्लेजमोडियम परजीवी की जातियाँ
मनुष्य शरीर मे प्लेजमोडियम की चार जातियाँ पाई जाती हैं।
- प्लेजमोडियम वाईवैक्स
- प्लेजमोडियम ओवेल
- प्लेजमोडियम फेल्सीपेरेस
- प्लेजमोडियम मेलेरिई
शरीर पर मलेरिया का प्रभाव
मलेरिया का परजीवी रोगी के खून में रक्तकणिकाओं के अंदर रहता है ओर उनको नष्ट करता है तथा कुछ समय बाद विषेले पदार्थों को खून में जमा करता है। इस विष के खून में जमा हो जाने से रोगी को ज्वर आता है तथा रुधिराणुओं के फटने व नष्ट होने के कारण शरीर में सर्दी लगने जैसे प्रभाव दिखाई देते हैं।
मलेरिया बुखार के लक्षण
मलेरिया बुखार होने पर सर्दी लगकर बुखार आता है। इसके अलावा शरीर मे कंपकंपी होना, हाथ पैरों का कांपना, बहुत तेज बुखार, थकावट अनुभव होना, व रोगी के शरीर का पीला पड़ जाना मलेरिया बुखार के लक्षण हैं।
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उद्भवन काल (Incubation Period)
मलेरिया रोगी को मच्छर के काटने से लेकर पहला बुखार आने तक के समय को उद्भवन काल या इन्क्यूबेशन पीरियड कहा जाता है। यह इन्क्यूबेशन पीरियड परजीवी की अलग जातियों के लिए अलग अलग है।
परजीवी की जाति | उद्भवन काल (Incubation Period) |
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प्लेजमोडियम वाईवैक्स | 11 से 14 दिन |
प्लेजमोडियम ओवेल | 12 से 14 दिन |
प्लेजमोडियम फेल्सीपेरेस | 18 से 21 दिन |
प्लेजमोडियम मेलेरिई | 9 से 12 दिन |
मलेरिया का उपचार
इस रोग में बुखार से खुद को बचाने और सुरक्षित रखने के साथ साथ ही इस बीमारी पर रोक लगाना ओर इलाज भी बहुत जरूरी है। संक्रामक बीमारी होने के कारण यह बहुत जरूरी हो जाता है कि इस बीमारी में तीनों बिंदुओं पर ही ध्यान दिया जाये।
- रोकथाम
- बचाव
- इलाज
मलेरिया की रोकथाम के उपाय
मच्छरों को नष्ट करना
मच्छरों को नष्ट करने के लिए निम्न उपाय करने चाहिए
- नियमित समय के बाद घरों में डी डी टी या फिलिट का छिड़काव करें।
- घरों में नीम की पत्ती या गन्धक जलाकर धुँआ करें।
- घरों को खुला तथा रोशनी की पर्याप्त मात्रा वाला रखें।
- घरों के कमरों व टॉयलेट, बाथरूम आदि को साफ रखें।
मच्छर के अंडे, लार्वा, व प्यूपा, का विनाश
- घर व नगर के आसपास बरसाती या गन्दे पानी के गड्डों, छोटे तालाबों ओर पोखरों इत्यादि को पानी से न भरने दें ताकि मच्छर अंडे ही न दे पाएं।
- पानी की टँकियों, बड़े बड़े तालाबों से समय समय पर पानी निकाल दें।
- दलदल, कीचड़ ओर रुके पानी की सतह पर मिट्टी के तेल या mobil oil का छड़काव करें। यह पानी की सतह पर पतली झिल्ली बना देता है जिससे मलेरिया मच्छर के लार्वा, प्यूपा आदि ऑक्सीजन न मिलने के कारण नष्ट हो जाते हैं।
- बहुत बड़े पानी वाले स्थानों में जहाँ तेल डालना सम्भव नहीं होता है पेरिस ग्रीन नामक सूखा पदार्थ पानी में मिला दें। इसके अलावा DDT व बेन्जीन हेक्सा क्लोराइड का प्रयोग भी किया जा सकता है।
प्राकृतिक उपाय
- स्टिकल वक्र, मीनोव, व ट्राउट मछलियों व बत्तख या जलीय कीट व उनके लार्वा को पानी वाले स्थानों पर छोड़ दें।
- पानी की बीटल के लार्वा मलेरिया मच्छर के लार्वा को खाते हैं।
- ड्रेगन मक्खी भी लार्वा को नष्ट करती है।
मलेरिया से बचाव के उपाय
यह रोग मुख्यतः मच्छरों के कारण ही प्रभाव में आता है इसलिए इससे बचाव करने के लिए भी मच्छरों के सम्पर्क में आने से खुद को बचाना ही मुख्य काम होता है। बचाव करने के दो उपाय हैं-
- मच्छरों के काटने से बचना
- संक्रमण से बचना
मच्छरों के काटने से बचना
- घरों को खुला व सीलन रहित रखें
- दरवाजे तथा खिडकियों को खुला रखें जिससे कमरों में धूप व ताजी हवा आती रहे।
- तुलसी का पौधा घर मे लगाने से मच्छर नहीं आते है।
- घर के पास यूकेलिप्टस का पेड़ होने पर भी मच्छर दूर भाग जाते हैं।
- मच्छरदानी लगाकर सोएं।
- शरीर पर सरसों का तेल या एन्टी मोस्क्विटो क्रीम लगाकर सोने से भी मच्छर नहीं काटते हैं।
संक्रमण से बचना
- रोगियों वाली जगहों पर रहने वाले स्वस्थ लोगों को इस बुखार से बचने के लिए नियमित रूप से थोड़ी मात्रा में दवाई लेते रहना चाहिए।
- अपने स्वास्थ्य का पूर्ण ध्यान रखना चाहिए क्योंकि स्वस्थ मनुष्य पर ज्वर का संक्रमण अपेक्षाकृत कम होता है।
मलेरिया का इलाज
इस बीमारी का इलाज दो तरीकों से किया जा सकता है।
- घरेलू उपचार
- दवाओं से इलाज
मलेरिया का घरेलू उपचार
- 5-5 चम्मच नीबू के रस ओर करेले के रस को मिलाकर इसमें थोड़ी सी मात्रा(6-7) में तुलसी के पत्ते पीसकर डालें। फिर एक गिलास गुनगुने पानी मे इस तैयार हुए रस के 3 चम्मच डालकर पियें।
- गिलोयी के तने को सुखा लें और इसका चूरन बनाकर गुनगुने दूध के साथ पीने से यह बुखार ठीक हो जाता है। गाय के दूध के साथ सेवन करने से अधिक लाभ मिलता है।
- रोज चुकंदर खाएं या चुकंदर का जूस पियें।
- मूली ओर कच्चे पपीते को सलाद के रूप में सेवन करने से आराम मिलता है।
मलेरिया की दवा
यूँ तो कुनैन मलेरिया की अचूक दवाई है किंतु आजकल अनेक संश्लिष्ट दवाइयां भी आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं।
ये दवाइयां हैं-
1. प्लेज़मेकिन (Plasmochin)
2. एटाब्रिन (Atabrin)
3. पाल्यूडरिन (Paludrin)
4. केमोक्विन (Chemoquine)
5. क्लोरोक्वीन (Chloroquine)
6. पेंटाक्विन (Pentaquine
7. केमोप्राइमा (Chamoprima)
8. रेसोचिन (Resochin)
9. डेरापरिम (Daraprim)
एटाब्रिन व केमोक्विन कुनैन के समान होती हैं। डेरोपरिम सबसे ज्यादा फायदा देने वाली दवा मानी जाती है।
Note – ऊपर बतायी गयी दवाएं डॉक्टर की सलाह पर ही बतायी गयी मात्रा में खाएं।