प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण दिखने का समय प्रत्येक महिला के जीवन का एक अनूठे अनुभव वाला समय काल होता है। एक शिशु को जीवन प्रदान करने का स्वप्न देखना व गर्भावस्था में इसकी अनुभूति करना हर महिला का अधिकार है। किंतु कुछ शारीरिक स्वास्थ्य की अक्षमताओं के कारण व गर्भधारण की अपर्याप्त जानकारी के होने से गर्भ ठहरने में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। आज हम प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण की मुख्य समस्याओं व उनके समाधान के जरूरी उपायों को बता रहे हैं। जिनको समझ कर आप स्वस्थ रहकर गर्भावस्था को प्राप्त हो जाएंगी।
प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण कब दिखते है
किसी प्रकार की प्रजनन सम्बंधित व शारिरिक समस्या न होने की स्थिति में प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण न दिख पाने का कारण सिर्फ महिला ही नहीं होती। अधिकांश पुरुषों के शुक्राणुओं का घनत्व अर्थात शुक्राणुओं की संख्या कम होने के कारण भी काफी मुश्किलों का सामना होता है। यदि यह समस्या नही है तो फिर नीचे बताए उपायों से गर्भधारण होता है।
1. मानसिक तनाव(Mental Stress) न करें
मानसिक तनाव या मेन्टल स्ट्रेस का सीधा असर गर्भधारण पर पड़ता है। मानसिक तनाव से प्रजनन अंगों की गर्भधारण शक्ति प्रभावित होती है। साथ ही प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण के दौरान शिशु के स्वास्थ्य पर बुरा असर होता है। इसलिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि तनाव की स्थिति से दूर रहें।
2. प्रेग्नेंट होने के लिए उचित सेस्क पोजीशन अपनाएं
संबंध बनाते वक्त यदि शुक्राणुओं को महिला के गर्भाशय में प्रवेश में किसी प्रकार की बाधा हो। तो यह प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण दिखने को नामुमकिन बना देता है। ज्यादातर मामलों में ऐसा नहीं होता पर यह बात अधिकांश विवाहित युगल ध्यान में नहीं रखते हैं।
इसलिए सम्बंध स्थापित करते समय अपनी स्थिति का ध्यान रखना आवश्यक हो जाता है। मिशनरी ऐसी एक पोजीशन काफी कारगर हैं। जिनमे पुरुष शुक्राणुओं का महिला के शरीर मे बिना किसी बाधा के प्रवेश हो जाता है।
3. गलत आदतों(Bad Habits) का त्याग
किसी भी प्रकार की गलत आदतें अथवा व्यसन जैसे सिगरेट पीना इत्यादि(यदि हों) तो तुरंत त्यागने का विचार करें।
4. अंधेरे में सम्बंध
प्रकाश का प्रभाव प्रग्नेंसी पर कुछ न कुछ जरूर होता है। साथ ही प्रकाश में सम्बंध स्थापित करने से सही अनुपात में शुक्राणु पुरुषों के शरीर से निष्कासित नहीं हो पाते है। फलस्वरूप गर्भधारण में परेशानी उतपन्न हो जाती है।
महिला प्रेगनेंट कैसे होती है
यदि आपके शरीर में या प्रजनन अंगों में कोई मेडिकल समस्या नहीं है तो आप के लिए प्रेगनेंट होना बहुत आसान है। गर्भवती होने के बारे में सामान्य जानकारी हर किसी को होती है। किंतु कुछ अति आवश्यक बातें यदि ध्यान में नहीं रहती हैं तो गर्भधारण में समस्याएं उत्पन्न होजाती हैं।
लड़की से माँ बन जाना हर औरत के लिए बहुत ही स्पेशल और जीवन का सबसे अनमोल व खूबसूरत क्षण होता हैं। अगर बहुत प्रयासों के उपरांत भी आपको प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण नहीं नजर आयें। तो आपके गर्भाशय में कोई समस्या हो सकती है अन्यथा नीचे बताए उपायों की नजरअंदाजी भी कारण हो सकती है। इन बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है।
● मन मे अच्छे विचार और कम मानसिक दबाव लें।
● प्रेगनेंट होने के लिए ऊपर बताए गए संभोग के तरीके अपनाए।
● सम्बंध बनाने के बाद पर्याप्त विश्राम करें।
● ओव्यूलेशन पीरियड में सम्बंध बनाने से प्रेग्नेंट होने के ज्यादा चांस रहते हैं|
● अगर आप सिगरेट आदि का व्यसन करती हैं तो यह रोक दे।
● पोषक तत्वों से भरपूर भोजन करें जैसे जिंक , फोलिक एसिड , कैल्शियम , विटामिन आदि।
प्रेगनेंसी मे डिलीवरी कैसे होती है
सामान्य रूप से डिलीवरी प्राकृतिक रूप से ही होती है। और सामान्य डिलीवरी सबसे उत्तम है। इसके बाद शरीर को बल मिलता है व स्वास्थ्य की दृष्टि से भी यह पूरी तरह सुरक्षित होती है।
यदि किन्हीं कारणों से डिलीवरी में कुछ परेशानी आ जाती है या गर्भवती के स्वास्थ्य में कुछ कमजोरी रह जाती है। तब ऑपरेशन के जरिये डिलीवरी करना जरूरी हो जाता है। इस प्रकार की डिलीवरी सेहत के नजरिए से अच्छी नहीं होती है। इसी कारण लगभग हर गर्भिणी स्त्री चाहती है कि सामान्य डिलीवरी से ही उनके शिशु का जन्म ही।
प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण दिखाई देते ही सामान्य व सुरक्षित डिलीवरी के लिए इन बातों का विशेष ख्याल रखें।
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सामान्य प्रेगनेंसी के उपाय (Normal Delivery tips)
- पोषक तत्वों की पर्याप्त मात्रा से भरपूर भोजन लें।
- दिन में थोड़े अंतराल पर पानी पीते रहें।
- गर्भधारण की समयाविधि में किसी भी प्रकार की अस्वस्थता से बचें। जिससे शरीर में अवांछनीय कमजोरी न आये।
- आयरन और कैल्शियम की गोलियां लेना बहुत जरूरी होता है।
- प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण दिखने के बाद रोजाना कुछ देर तक सैर करें।
- अपनी सुविधानुसार हल्के फुल्के व्यायाम, छोटी छोटी कसरतें करते रहें।
- किसी भी काम या किसी बात का अनावश्यक तनाव न करें।
प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण
गर्भावस्था के हर महीने शरीर में अहम बदलाव होते रहते हैं। प्रेग्नेंसी के समय इसीलिए निरंतर नए लक्षणों ओर सावधानियों से भरा होता है। तीन मुख्य महीनों में होने वाले बदलाव व अपनायी जाने वाली सावधानियों को ध्यान से समझें।

प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण पहले महीने के
पहले महीने के प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण शरीर पर दृष्टिगोचर नहीं होते हैं किन्तु इन लक्षणों को पहचानने के लिए कुछ आसान तरीके हैं – जेसे जी मिचलाना, अक्सर सिर मे हल्का दर्द रहने, उबकाइयाँ आने लगना, भूख अचानक से अधिक या कम हो जाना आदि।
प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण तीसरे महीने के
प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण का तीसरा महीना बहुत खास है। इस महीने आप अपने शरीर मे होने वाले बदलावों को पहचानने लग जाती हैं। व गर्भाशय में होने वाली कुछ अन्तःक्रियाओं को भी नोट कर सकती हैं। यह महीना सावधानी की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण होता है।
प्रैग्नेंसी के तीसरे महीने में जरूरी बातें व सावधानी
- पानी – पूर्व में बताए अनुसार शरीर मे पानी की उचित मात्रा की पूर्ति बनाये रखें।
- जूस – फलों का जूस समय समय पर पीना जरूरी होता है।
- काम – कोई भी मुश्किल काम न करें। जैसे किसी वजनदार समान या चीज को उठाना।
- विटामिन – विटामिन बी से भरपूर खाना जरूर खाएं।
- व्यायाम – तीसरे महीने में अधिक कसरत मां को हानि भी पहुंचा सकती हैं। इस महीने व्यायाम कम करें।
प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण चौथे महीने के
प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण में 4था महीना काफी अहम होता है। इस महीने गर्भ गिरने की संभावना बहुत कम रह जाती है ओर गर्भिणी महिला के पेट का आकार बढ़ने लगता है। जो कपड़ों में बाहर से दृष्टि गोचर होने लगता है।
गर्भावस्था के चौथे महीने में बदलाव
गर्भावस्था के चौथे महीने में गर्भ के बच्चे का शरीर विकसित होने लगता है। बच्चे के सिर पर बाल उगने शुरू हो जाते हैं। और शरीर के अन्य अंगो का बढ़ना भी जोर पकड़ने लगता है।
गर्भावस्था के चौथे महीने में सावधानियां
- पानी – चौथे महीने में भी पानी पानी की शरीर में पर्याप्त मात्रा बहुत जरूरी है इसलिये पानी पीते रहें |
- जूस – पूर्व की पूर्व की भांति जूस का सेवन लगातार होना चाहिए |
- भारी चीज – भारी वस्तु उठाने से परहेज करें किंतु हल्के फुल्के काम करना जारी रखें।
- एक्सरसाइज – ज्यादा एक्सरसाइज करने से दूरी बनाए रखें।
- एक्सरसाइज – ज्यादा एक्सरसाइज करने से दूरी बनाए रखें।
- फल – दो तीन ताजे फल प्रतिदिन खाना जरूरी होता है।
- दूध – दूध और दूध से बने उत्पाद भी खाते रहें |
प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण सातवें महीने के
बच्चे में बदलाव – बच्चे के शारीरिक वजन में वृद्धि होने लगती है व बच्चा पेट मे आंखे झपकाना प्रारंभ करने लगता है। शिशु का शरीर अब 32-42 सेंटीमीटर लम्बा और वजन करीब 1150 ग्राम से 1350 ग्राम के लगभग हो जाता है।
शिशु की धड़कन – प्रेगनेंसी के शुरुआती सातवें महीने के गर्भकाल में शिशु के ह्रदय की धड़कन महसूस की जा सकती है और सुनी भी जा सकती है।
सातवें महीने में गर्भवती स्त्री को बहुत ही सावधानी बरतनी पड़ती है। किसी भी तरह की सेहत सम्बंधित लापरवाही के कारण प्रीमैच्योर डिलीवरी की आशंका बन जाती है जो अच्छी बात नहीं साबित होती है। गर्भवती महिला को इस महीने निम्न प्रकार अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए।
प्रेगनेंसी के सातवें महीने की ध्यान देने योग्य जरूरी बातें
- .शुद्ध भोजन – पॅग्नेंट महिला शुद्ध घर के बने हुए भोजन का ही सेवन करे। जंक फुड खाना अब बिल्कुल बंद कर देना चाहिए।
- घबराहट व तनाव – खुश रहें स्ट्रेस लेने से बचें। किसी भी प्रकार की घबराहट ओर परेशानी को अलविदा कह दें।
- फल – पहले बताए अनुसार फल खाएं।
- पाचन – कब्ज की समस्या हो तो फलों का अधिक सेवन करें।
- पानी – शरीर को पानी की कमी से बचाने की खातिर नो दस गिलास पानी रोजाना पियें।
- दूध – दूध व दूध के उत्पादों का उपयोग भोजन में कुछ सीमित मात्रा में जरूर करें।
- आयरन टैबलेट – इस माह में आयरन की गोलियों को नियमित रूप में खाना चालू रखें।
प्रेगनेंसी के शुरुआती काल में विशेष सावधानियाँ
पूरी प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण पीरियड में महिला शरीर व मन मस्तिष्क कई प्रकार के भिन्न भिन्न परिवर्तनों से गुजरते है। इस लिए हर एक परिवर्तन के प्रभाव में सकारात्मक रहना अत्यंत आवश्यक होता है।
इसके अलावा कुछ शारिरिक प्रभाव जैसे उदासी, उल्टियां, मूड स्विंग, जी मिचलाना, भूख की अनियमितता, सिर चकराना, आदि में भी सामान्य रहकर ही निपटने की कोशिश करनी चाहिए।
प्रेगनेंसी के शुरुआती समय में अच्छे स्वास्थ्य के लिए जरूरी बातें
- पानी – प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण नजर आने के बाद पानी बहुत ही आवश्यक है। इस समय पानी की शरीर को आवश्यकता पहले के मुकाबले अधिक होती है। अतः इसका ध्यान रखें।
- भारी चीज – थोड़ी बहुत शारिरिक श्रम भी जरूरी होता है। किंतु भारी चीजों को उठाने का प्रयास नुकसानदेह होता है।
- जूस व भोजन – अलग अलग फलों के जूस डॉक्टर के सलाह पर लेते रहने चाहिए। शुद्ध व पोष्टिक व्यंजनों का आहार लेना चाहिए।
- विटामिन – उचित परामर्श लेकर मल्टीविटामिन ओर विटामिन बी-6 का प्रयोग करें।
- व्यायाम – थोड़े बहुत व सहजता से होने वाले व्यायाम के अतिरिक्त कोई अन्य कड़ी कसरत या व्यायाम न करें।.