अनहद नाद रहस्य: साउंड ऑफ साइलेंस या कानों का भ्रम

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पौराणिक काल से ही यह माना जाता रहा है कि एक दिव्य ध्वनि हमेशा ओर हर एक चीज में अनवरत रूप से विद्यमान है। इसे यदि सुन लिया अथवा पहचान लिया जाय तो व्यक्ति तत्क्षण परमज्ञान को उपलब्ध हो जाता है।
इसे अनहद नाद या अनाहत नाद के नाम से जाना जाता है। आज नाद के इस रहस्य को समझते हैं और जानते हैं कि वास्तव में यह क्या होता है।

नाद का मतलब क्या है।

नाद शब्द का इस्तेमाल ध्वनि(Sound) के लिए किया जाता है। विज्ञान के अनुसार ध्वनि एक कम्पन है। जो हवा की परतों में उत्पन्न होकर किसी ठोस, द्रव अथवा गैसीय माध्यम से कानों तक पहुंचने पर ध्वनि के रूप में अनुभव किये जाते हैं। जिन्हें ध्वनि, आवाज, गूंज, हलचल आदि कहा जाता है।
ध्वनियों को आधारभूत रूप से दो प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है।

नाद के प्रकार

नाद (Sound) को दो प्रकार का कहा गया है।

1. आहत नाद

पहले प्रकार में इस समस्त ब्रह्मांड(Universe) में होने वाली वे आवाजें है जो दो या दो से अधिक वस्तुओं के आपस मे टकराने से उत्पन्न होती हैं। और शायद आप समझ गए होंगे कि सभी आवाजें किसी न किसी टकराव का ही परिणाम होती हैं जिन्हें कानों से सुना जा सकता है।

2. अनहद नाद | अनाहत नाद

दूसरे प्रकार के नाद को अनहद कहा गया है और ये नाद पहले प्रकार के नाद से पूर्णतया भिन्न है। ये नाद किन्ही वस्तुओं के टकराने से नहीं बल्कि स्वयं से ही समस्त प्रकृति में आदिकाल से उपस्थित है।
इसे ठीक ठीक समझाने में सबको कठिनाई होती है और शब्दों की असमर्थता के कारण यह अनहद नाद रहस्य जटिल प्रतीत होता है।

अनहद नाद के बारे में कथन

“यह एक ध्वनि नहीं है फिर भी इसे सुना जा सकता है।”
“इसे मौन की आवाज कहा जा सकता है पर यह न मौन है न ध्वनि ही है।”

अनाहत नाद ओर साउंड ऑफ साइलेंस

हाँ, अनहद नाद(Anhad Nad Sound) को ही Sound of Silence भी कहा जाता है। इसे ही अनाहत नाद, ओम, ohm (ॐ) की ध्वनि कहा जाता है। इन सभी वाक्यांशों से एक ही ओर इशारा किया जाता है। नाद योग पुस्तक में भी इस विषय पर विस्तृत चर्चा की गई है।

वेदों में इसे ओम(ॐ), नाद, श्रुति, आकाशवाणी कहा गया है। ओर भगवद्गीता में अक्षर कहा गया।
कुरान में कलमा ओर बाइबल में शब्द व जीवन जल कहकर अनहद नाद की ओर ही इशारा किया गया है।

सूफी संत इसे ही पवित्र शराब कहते हैं। सन्त इसे हरि रस और अमृत भी कहते हैं। सिक्ख सन्तों ने इसे सतनाम ओर अखण्ड कीर्तन कहा है।

आध्यात्मिक इतिहास में अनाहत नाद का उल्लेख

लगभग हर धर्म के धर्मग्रंथों ओर पुस्तकों में अनहद नाद का जिक्र किया गया है व इस के प्रमाण मिलते हैं। नाद योग का रहस्य इन कथनों से व्यक्त किया गया है:
सामवेद के अनुसार ‘शब्द(नाद) ही ब्रह्म है और मौन भी ब्रह्म है। ब्रह्म ही अकेला ओर सर्वत्र गूंज रहा है।’

इस्लामी संत हाफिज के अनुसार ‘ स्वर्ग से निरंतर एक मधुर ध्वनि उत्पन्न हो रही है। मुझे आश्चर्य है कि लोग इसे क्यों अनसुना कर रहे हैं।

बाइबिल के अनुसार ‘ सृष्टि के शुरू में शब्द था। शब्द परमेश्वर के साथ था और शब्द ही परमेश्वर था।’

ब्रह्म उपनिषद के अनुसार ‘यधपि वह शब्दों विचारों और मन से परे है तथापि शब्दों विचारों और मन से परे जाकर उसे सुना जा सकता है’

इस प्रकार के हजारों उद्दरणों ओर कथनों से हर धर्म और हर देश के आध्यात्मिक इतिहास में अनहद नाद की उपस्थिति के बोध होने के अनगिनत साक्ष्य मिलते हैं।

Quantum Physics के आधार पर विवेचन

वर्तमान समय मे विज्ञान काफी प्रगति कर चुका है। क्वांटम भौतिकी के अनुसार ये सारा ब्रह्मांड वास्तव में ऐसा नहीं है। हर एक पदार्थ जैसा ठोस द्रव या गैस आदि रूपों में दिखाई पड़ रहा है। दरअसल ये कुछ तरंगे(Energy) हैं। और हर एक क्षण में हर पदार्थ के आधारभूत कण लगातार प्रकट हो रहे हैं और खत्म हो रहे हैं। सरल शब्दों में कहें तो हर क्षण हमारे शरीर की मृत्यु ओर जन्म हो रहा है।

सिवाय उस एक चीज के जो निरंतर है और जिसे विज्ञान शायद कभी जान पाए। इस सारी सृष्टि में अनहद नाद को निरंतर ओर अनन्त माना गया है। तो जाहिर है विज्ञान का तात्पर्य भी किसी ऐसी ही चीज से है जिसे रहस्यमय अनहद नाद कहते हैं। और कहा जा सकता है कि विज्ञान(Quantum Physics) इस गुत्थी को सुलझाने के काफी करीब है।

अनहद नाद की शक्तिशाली विधि

अनहद नाद को सुनने के लिए अलग अलग तरह की विधियां बतायी जाती हैं। विज्ञान भैरव तंत्र में कई प्रकार की शारिरिक ओर योग क्रियाएँ कर इस नाद को जाने जा सकने के दावे किए गए हैं।

अनहद नाद को सुनने की सबसे सरल विधि में श्रवण कर्ता अपने दोनों कानों को बंद कर बाहरी ध्वनियों को कान में जाने से रोकता है। इसके पश्चात अपनी समस्त चेतना को अपने शरीर के अंदर की आवाजों ओर हलचलों पर लगा देता है।

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इस अभ्यास के प्रगाढ हो जाने पर ऐसी स्थिति प्राप्त होती है जिससे अनहद नाद की पहचान हो जाती है।
एक बार अनहद नाद की पहचान हो जाने पर बिना किसी अभ्यास के निरंतर गूंजते इस नाद को जाना सुना जा सकता है।

अनहद नाद से पहले कई प्रकार की अन्य मधुर ध्वनियां भी अंतरमन में उत्पन्न होती प्रतीत होती हैं। पर अनहद नाद आखिरी ध्वनि है। जिसके पश्चात कुछ भी सुनना ओर जानना शेष नहीं रह जाता है।

अनाहत नाद का सरल वास्तविक अर्थ व महत्व

अनहद नाद दरअसल कोई ऐसी ध्वनि, वस्तु या घटना नहीं है। जिस से कोई चमत्कारी प्रभाव हो जाता है। अनहद नाद हर प्राणी के वास्तविक स्वरूप का बोध है। जो इसलिए नहीं हो पाता है क्योंकि हमारी चेतना विभाजित और भृमित है।

चेतना के विभाजित ओर भृमित होने का मुख्य कारण मन अहम भाव का उत्पन्न होना है। जिससे हमारी शक्तियां एक सीमित दायरे में ही जीवन भर क्रियाशील रहती है।
किंतु अनहद नाद के श्रवण से हमारी समस्त चेतना, शुद्धतापूर्वक क्रिया शील होकर हमारी सभी अंतरनिहित शक्तियों को उजागर कर सत्य से परिचय करवाती है।

अनहद नाद अभ्यास का शारीरिक व बौद्धिक महत्व

अनहद नाद के अभ्यास की प्रकिया में हमारे अनावश्यक विचारों के मन मस्तिष्क में उठने पर नियंत्रण हो जाता है।
इससे बौद्धिक कार्य मे खपत होने वाली ऊर्जा बचती है। साथ ही एकाग्रता बढ़ती है। बाहरी क्रियाओं में खर्च होने वाली ऊर्जा में कमी के कारण शरीर ऊर्जा वान होता है। साथ ही शांति और आनन्द प्रदान करने वाले हार्मोन हमारे शरीर मे प्रवाहित होने लगते हैं।

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अनहद नाद ओर भ्रम ( टिनिटस की बीमारी)

अनहद नाद को वास्तविकता से न जानने के कारण अधिकांश लोग भ्रम के शिकार बन जाते हैं। अपने कानों में गूंजने वाली कुछ ध्वनियों को जब वे अनहद नाद से सम्बंधित करने लगते हैं।

टिनिटस (Tinnitus) कानों की बीमारी है। जिसमे लगातार कानों में अलग अलग तरह की आवाजें सुनाई पड़ती है। अधिकतर लोगों में यह बीमारी होती है।

इस बीमारी का मुख्य कारण ध्वनि प्रदूषण है। और एअर प्लग, हेडफोन आदि के इस्तेमाल व उम्र के बढ़ने, कानों के इंफेक्शन के कारण यह बीमारी आम है। यही कारण है कि अधिकांश श्रवण कर्ता इन्हीं आवाजों को अनहद नाद समझ बैठते हैं।

अनहद नाद के सम्बंध में एक भ्रम यह भी है कि। हम किसी आवाज की कल्पना करके नाद ध्यान/अभ्यास करते हैं। निरंतर अभ्यास से मस्तिष्क उस काल्पनिक आवाज को सुनाई पढ़ने के भ्रम में बदल देता है। जिससे एक बड़ी बाधा उत्पन्न हो जाती है। पर समझ के साथ ओर विवेक से इन बाधाओं को पार कर अनहद तक पहुंचा जा सकता है।

ओर अंत मे

अनहद नाद का श्रवण न तो किसी तरह का श्रवण है न किसी तरह की अनुभूति है। दरअसल ये ऐसा कुछ भी नहीं है जिसे शब्दों में कहा जाए। या एक अकर्ता स्थिति है जिसमे कोई भी शारीरिक मानसिक गतिविधि नहीं होती। बस पूर्ण वर्तमान होता है, पूर्ण चेतना होती है और परमज्ञान व परम आनंद होता है।

FAQs: अनाहत नाद रहस्य

नाद का अर्थ क्या है?

नाद का अर्थ ‘किसी भी प्रकार की कोई आवाज या ध्वनि’ होता है। उदाहरण के लिए वाद्य यंत्रों की आवाज, पशु-पक्षियों, कीट-पतंगों की आवाज, व किसी भी ठोस, द्रव या गैसीय पदार्थ से उत्पन्न ध्वनि।

ब्रह्म नाद क्या होता है?

प्राचीन ऋषि मुनियों ओर अध्यात्म जगत के पारखियों के अनुसार सम्पूर्ण ब्रह्मांड की रचना(उत्पत्ति) एक रहस्यमय नाद से हुई है। जिसे ब्रह्म नाद कहा जाता है।

संगीत में नाद किस प्रकार का होता है?

संगीत से उत्पन्न नाद (ध्वनि) आहत होती है अर्थात दो या दो से अधिक गतिशील अथवा स्थिर वस्तुओं के टकराने से पैदा होती है।

नादानुसंधान का क्या अर्थ है?

नादानुसंधान का अर्थ है नाद सुनने का अभ्यास करना और नाद की मूल प्रकृति को समझकर आहत अनाहत नाद के भेद को जानना।

आहत ओर अनाहत क्या है?

जितने प्रकार की ध्वनियों को कानों द्वारा सुना जा सकता है वे आहत ध्वनियाँ कहलाती हैं। जबकि जिस ध्वनि को कानों से नही वरन सिर्फ चेतना से सुना(जाना) जा सकता है उन्हें अनाहत ध्वनियाँ कहते है।


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